जिस तरह देशाटन के लिए नक्शा और जहाज चालक को दिशासूचक की आवशयकता पड़ती है, उसी प्रकार मनुष्य जीवन में लक्ष्य का निर्धारण अति आवश्यकता है। क्या बनना और करना है - यह बोध निरंतर बने रहने से, उसी दिशा में प्रयास चलते हैं। एक कहावत है - ''जो नाविक अपनी यात्रा के अंतिम बंदरगाह को नहीं जनता, उसके अनुकूल हवा भी नहीं बहती।'' अर्थात समुद्री थपड़ेडों के साथ वह निरुद्देश्य भटकता रहता है। लक्ष्यविहीन व्यक्ति की भी यही दुर्दशा होती है। अस्तु, सर्वप्रथम आवश्यकता इस बात की है अपना एक निश्चित लक्ष्य निर्धारित किया जाए।
Just as there is a need for a map and a ship driver for navigation, in the same way the determination of goals is very necessary in human life. With this constant understanding of what to be and do, efforts go in that direction. There is a saying - "The sailor who does not know the last port of his journey, even the wind does not blow in his favour." That is, he wanders aimlessly with the sea thuds. The same is true of the aimless person. So, the first need is to set a definite goal for yourself.
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नास्तिकता की समस्या का समाधान शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों...
मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...