यथार्थ ध्यान-चेतना को समुन्नत करने से ही उपलब्ध होती है। आर्किटेक्ट जब किसी इमारत का साँचा एवं नकशा बनाते हैं, तब उसका चित्र, उसका स्वरूप मस्तिष्क में इस प्रकार खड़ा करते हैं मानों वह उन्हीं के द्वारा बनाई जा रही हो और उसके लिए जिन कठिनाइयों का समाधान या वस्तुओं का संग्रह किया जाना है, वह किया जा रहा हो। कलाकारों के मास्तिष्क में उनकी कृतियों का प्रारूप बनता है, बाद में वे साकार बनती है। यह अंतर्मुखी होने, भविष्य की कल्पना करने, समाधानों को खोजने में तन्मय हो जाने की आदत पड़ जाने पर भी ही संभव होता है। व्यावहारिक जीवन का यही ध्यानयोग है।
Reality is attained only by cultivating meditation-consciousness. When architects make a plan and a map of a building, then they draw its picture, its form in the mind in such a way that it is being built by them and for that the difficulties which have to be solved or the objects to be collected, they have done that. are going Their creations are shaped in the mind of the artists, later they become a reality. This is possible only when one gets in the habit of being introverted, imagining the future, being engrossed in finding solutions. This is the meditation of practical life.
Attention-Consciousness | Arya Samaj MPCG, 9300441615 | Arya Samaj Wedding Rituals MPCG | Legal Marriage Helpline MPCG | Procedure of Arya Samaj Wedding MPCG | Arya Samaj Mandir Marriage MPCG | Arya Samaj Pandits for Gayatri Havan MPCG | Aryasamaj Mandir Marriage Helpline MPCG | Legal Marriage Helpline conductor MPCG | Validity of Arya Samaj Marriage MPCG | Arya Samaj Mandir Marriage Helpline MPCG | Arya Samaj Pandits for Havan MPCG | Court Marriage MPCG | Legal Marriage Helpline Consultant MPCG | Validity of Arya Samaj Marriage Certificate MPCG | Arya Samaj Mandir Shaadi MPCG | Arya Samaj Pandits for Legal Marriage MPCG | Court Marriage Helpline MPCG | Marriage Booking MPCG | Vastu Correction Without Demolition MPCG | Arya Samaj Mandir Shadi Madhya Pradesh
नास्तिकता की समस्या का समाधान शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों...
मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...