प्रतिशोध एवं दर्प के आवेश में प्रायः लोग व्रतशीलता अपनाते और प्रतिज्ञाएँ करते देखे गए हैं, जिनमें दूसरों को तो अनर्थ ही सहना पड़े और फलस्वरूप अपने को कम दुष्परिणाम न भुगतना पड़े। व्रत, आवेश या संकल्प प्रायः हत्याएँ कराने, आत्महत्या के लिए उभरने अथवा उचित कार्यों को छोड़कर बैठने के लिए उकसाते हैं और संकल्प न रहकर संकट बन जाते हैं। इसीलिए विवेकवान, उदारचेता किसी सत्प्रयोजन के निमित्त ही व्रतधारण करते हैं उनका लक्ष्य रचनात्मक एवं सुधारात्मक होता है।
In the passion of revenge and arrogance, people have often been seen adopting fasting and taking vows, in which others have to bear the disaster and as a result they have to suffer no less ill effects. Fasting, passion or determination often provokes to commit murders, to emerge for suicide or to sit leaving the right works and become a crisis without remaining a resolution. That's why prudent, generous people observe fast only for some good purpose, their goal is constructive and reformative.
Bad Effects | Arya Samaj MPCG 9300441615 | Hindu Pandits Helpline MPCG | Marriage in Arya Samaj Mandir MPCG | Arya Samaj Court Marriage MPCG | Arya Samaj Marriage Consultant MPCG | Arya Samaj Shadi Procedure MPCG | Hindu Wedding Helpline MPCG | Marriage Procedure of Arya Samaj MPCG | Arya Samaj Helpline MPCG | Arya Samaj Marriage Documents MPCG | Arya Samaj Temple MPCG | MPCG Aarya Samaj | Marriage Service by Arya Samaj MPCG | Arya Samaj Hindu Temple MPCG | Arya Samaj Marriage Guidelines MPCG | Arya Samaj Vivah MPCG | Inter Caste Marriage MPCG | Marriage Service by Arya Samaj Mandir MPCG | Arya Samaj Marriage Helpline Madhya Pradesh Chhattisgarh
नास्तिकता की समस्या का समाधान शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों...
मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...