आज की प्रतिस्पर्धा की दुनिया में अधिकांश व्यक्ति जल्दी ही अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेना चाहते हैं, उनके लिए सफलता एकमात्र मकसद बन जाती है। मंजिल तक पहुँचने की प्रतिक्रिया उनके लिए अर्थहीन हो जाती है। कुल मिलाकर उनकी हर कार्रवाई में जल्दबाजी का यह अधैर्य का तत्व मौजूद रहता है। नतीजा मानसिक अवसाद में दिखाई देता है। इसलिए अपने तमाम व्यवहार में मनुष्य को सहशीलता का परिचय देना चाहिए। सहनशीलता से व्यक्ति के अन्दर सकारात्मक प्रवृत्तियां प्रबल होती हैं। व्यक्ति नकारात्मक मनोवृत्तियों पर विजय प्राप्त करता है। वह समाज के साथ अपने को बेहतर ढंग से जोड पाता है। समाज जो अपेक्षा करता है उसे वह अपने धैर्य के साथ पूरा करने का प्रयास करता है।
बदले में समाज भी उसकी अपेक्षाओं पर खड़ा होने का प्रयास करता है। इसलिए हमें धैर्य को अपने व्यक्तित्व की एक स्थाई एक प्रवृत्ति के रूप में विकसित करना चाहिए। इससे हमारे व्यक्तित्व का परिष्कार होगा। व्यक्तित्व अधिक सार्थक और प्रभावशाली बनेगा।
Arya Samaj MPCG 8989738486 | Arya Samaj Inter Caste Marriage MPCG | Arya Samaj Marriage Madhya Pradesh Chhattisgarh | Arya Samaj Vivah Mandap MPCG | Inter Caste Marriage Helpline MPCG | Marriage Service in Arya Samaj Mandir MPCG | Arya Samaj Intercaste Marriage MPCG | Arya Samaj Marriage Pandits MPCG | Arya Samaj Vivah Pooja MPCG | Inter Caste Marriage helpline Conductor MPCG | Official Web Portal of Arya Samaj MPCG | Arya Samaj Intercaste Matrimony MPCG | Arya Samaj Marriage Procedure MPCG | Arya Samaj Vivah Poojan Vidhi MPCG | Inter Caste Marriage Promotion MPCG | Official Website of Arya Samaj MPCG | Arya Samaj Legal Marriage Service MPCG | Arya Samaj Marriage Registration MPCG | Arya Samaj Vivah Vidhi MPCG | Inter Caste Marriage Promotion for Prevent of Untouchability Madhya Pradesh Chhattisgarh
नास्तिकता की समस्या का समाधान शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों...
मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...