दुनिया भर के मनोवैज्ञानिकों का शोधकर्ताओं के अनुसार, कुछ झूठ ऐसे होते हैं, जिन पर हम आसानी से यकीन कर लेते हैं। झूठ का खुलासा दूसरों के सामने भले ही न हो, लेकिन खुद के सामने तो हो ही जाता है और जब तक उसे स्वीकारा न जाए, तब तक मनोग्रंथियों से छुटकारा संभव नहीं बन पड़ता है। आज के सोशल मिडिया के जमाने में जितनी संभावना हमारे खुद झूठ बोलकर लोगों को धोखा देने की है, उतनी ही आशंका हमारे खुद के छले जाने व धोखा खाने की भी है। झूठ और सच, आज की दुनिया में ऐसे गूँथे हुए हैं कि इन्हें अलग-अलग करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
According to researchers of psychologists around the world, there are some lies that we easily believe. Lies may not be exposed in front of others, but they do happen in front of themselves and unless it is accepted, it is not possible to get rid of the psychopaths. In today's social media era, as much as we have the possibility of deceiving people by lying ourselves, there is also the possibility of our own deceit and deceit. Lies and truth are so intertwined in today's world that it is a daunting task to separate them.
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नास्तिकता की समस्या का समाधान शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों...
मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...