निराशा के महाव्याधि है, जो व्यक्ति की संपूर्ण शक्तियों एवं संभावनाओं को कुंद करके रख देती है। इसीलिए निराशा को शास्त्रों में पाप बताया गया है। जिससे स्वयं को आनंद न मिले, औरों को भी कुछ प्रसन्नता न मिले, उस निराशा को अधिक देर तक पालने में क्या समझदारी ? जबकि उत्साह जीवन की संजीवनी है। वाल्मीकि रामायण में कहा गया है की उत्साह में बड़ा बल होता है। उत्साह से बढ़कर अन्य कोई बल नहीं है। उत्साही व्यक्ति के लिए संसार में कोई वस्तु दुर्लभ नहीं है।
There is a great disease of despair, which keeps all the powers and possibilities of a person blunt. That is why despair has been described as a sin in the scriptures. So that one does not get pleasure from himself, and others do not get any happiness, what is the point in carrying that disappointment for a long time? Whereas enthusiasm is the lifeblood of life. It is said in Valmiki Ramayana that there is great power in enthusiasm. There is no other force than enthusiasm. Nothing in the world is rare for an enthusiastic person.
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आर्यों का मूल निवास आर्यों के मूल निवास के विषय में महर्षि दयानन्द का दृढ कथन है कि सृष्टि के आदि में मानव तिब्बत की धरती पर उत्पन्न हुआ था। तिब्बत में पैदा होने वालों में आर्य भी थे और दस्यु भी थे। स्वभाव के कारण उनके आर्य और दस्यु नाम हो गये थे। उनका आपस में बहुत विरोध बढ गया, तब आर्य लोग उस...
नास्तिकता की समस्या का समाधान शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों...
मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...