आत्मनिर्भर बनने का और अपने में आत्मविश्वास जाग्रत करने का एक ही गुरुमंत्र है कि आप अपने जीवन में कठिनाइयों को आने दीजिए, दूसरों के दुःख, तकलीफ और मुसीबतों में हाथ बँटाइए। दूसरों की सहायता कीजिए और परमात्मा आपकी सहायता करेगा। दूसरों के दुःखों को समझिए और अनुभव कीजिए कि आप असंख्यों से सुखी हैं। ऐसा दृष्टिकोण बना लेने से कठिनाई और दुःख की परिस्थितियाँ तल जाएँगी तथा अपने पीछे सफलता की राह बना जाएँगी। कठिनाइयाँ छोटे मनुष्यों को निस्तेज, निष्प्राण बना सकती हैं; किंतु महान वे हैं, जो दुखों की छाया में पलते हैं, औरों के दुःखों, मुसीबतों में हाथ बँटाते हैं। पुरुषार्थ भी इसी का नाम है कि व्यक्ति परिस्थितियों में संघर्ष करे।
There is only one gurumantra to become self-reliant and to awaken self-confidence in yourself, that you should let difficulties come in your life, help others in their sorrows, troubles and troubles. Help others and God will help you. Understand the sufferings of others and feel that you are happier than innumerable. By taking such an attitude, the situations of difficulty and sorrow will subside and the path of success will be made behind you. Difficulties can make little humans dull, lifeless; But great are those who grow in the shadow of sorrows, helping others in their miseries and troubles. Purushartha is also the name of this that a person should struggle in the circumstances.
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नास्तिकता की समस्या का समाधान शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों...
मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...