आर्यों का मूल निवास
आर्यों के मूल निवास के विषय में महर्षि दयानन्द का दृढ कथन है कि सृष्टि के आदि में मानव तिब्बत की धरती पर उत्पन्न हुआ था। तिब्बत में पैदा होने वालों में आर्य भी थे और दस्यु भी थे। स्वभाव के कारण उनके आर्य और दस्यु नाम हो गये थे। उनका आपस में बहुत विरोध बढ गया, तब आर्य लोग उस स्थान को छोड़कर सीधे इसी भारत स्थान पर पहुँचे और उसको अपना प्यारा सा नाम दिया आर्यावर्त।
जो लोग कहते हैं कि आर्य लोग ईरान आदि देशों से आकर बसे और उन्होंने यहाँ के मूल निवासी भील आदि को भगाकर इस भूभाग पर अधिकार किया है, वे मानव इतिहास से अनभिज्ञ हैं। यह नवीन लेखकों की अपनी कल्पना है, जो मान्य नहीं है। इन लेखकों के पास इस बात का कोई उत्तर नहीं है कि विदेशी शासकों ने अपनी तरह यहाँ के मूल निवासी आर्यों को भी विदेशी सिद्ध करने की चालें चली थी। इस चाल को यदि सर्वप्रथम किसी ने समझा है तो सत्यार्थ प्रकाश के लेखक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने। उन्होंने डंके की चोट से विदेशियों के इस प्रचार का खण्डन किया। खेद तो यह है कि भारतीय नेता और इतिहासकार भी विदेशियों की हाँ में हाँ मिलाते रहे हैं।
इसी का परिणाम है कि बाहर से आये आक्रमणकारी अब आर्यों को भी आक्रमणकारी कहने लगे हैं। इस आर्यावर्त की सीमा उत्तर में हिमालय, दक्षिण में विंध्याचल, पश्चिम में अटक और पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी थी। इसका एक स्पष्टीकरण आवश्यक है। विंध्याचल के नाम से वर्तमान स्थान जो प्रसिद्ध है, वह देश की मध्यवर्ती पहाड़ियों की शृंखला थी और वह समुद्र के पास रामेश्वरम तक पहुँची हुई थी। कुछ इतिहासकार इसको पृथक सिद्ध करने का प्रयत्न करते हैं, वह निराधार है। आर्यावर्त के दक्षिण में राक्षसों का राज्य हुआ है। कालान्तर में भगवान श्री राम ने रावण को मारकर उसके भाई विभीषण को सिंहासन पर बिठाया था।
Maharishi Dayanand's firm statement about the original home of the Aryans is that in the beginning of creation, humans were born on the land of Tibet. Among those born in Tibet, there were Aryans as well as Dasyus. Due to their nature, they were named Arya and Dasyu. Their mutual conflict increased a lot, then the Aryans left that place and reached this place India directly and gave it their lovely name Aryavart.
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