नास्तिकता की समस्या का समाधान
शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों में मूक पशुओं की हिंसा का क्रम जारी हुआ व बढता रहा है। सामाजिक विषमता एवं अनेक कुरीतियां प्रचलित हुई जिनका आधार अज्ञान व अन्धविश्वास थे, जो अज्ञान व अविद्या से ही उत्पन्न होते हैं। उस समय ऐसे किसी सुधारक का विवरण नहीं मिलता जिसने यज्ञों में हिंसा सहित अज्ञान अन्धविश्वास तथा कुरीतियों का पूर्ण निवारण करने का बीड़ा उठाया हो और इन समस्याओं के सत्य समाधान प्रस्तुत किये हों। वेदों के सत्य अर्थों को तो इस अवधि में हम विलुप्त हुआ ही पाते हैं।
The one who imparts education and knowledge is called Guru. From the beginning of creation till now, there have been innumerable Gurus of various subjects, whose indication and description is found in many texts including Ramayana and Mahabharata. After the Mahabharata period, we see that many distortions have come in religion. Violence against mute animals continued and increased in the yagnas performed to obey God's command. Social inequality and many evils became prevalent, the basis of which were ignorance and superstitions, which arise only from ignorance and illiteracy.
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मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...