अध्यात्म, जीवन की सर्वोपरि आवश्यकता है; क्योंकि यही हमारे वास्तविक स्वरूप से हमारा परिचय कराता है। वह स्वरूप जो जरा-मरण से रहित, शोकमुक्त, नित्य और अविनाशी मूलसत्ता है; जिसका ज्ञान होने पर फिर मनुष्य हर तरह के भय, शोक, चिंता, और मरण से मुक्त हो जाता है। इस नाशवान मानव जीवन में उस आत्मतत्व की उपलब्धि से बढ़ी और ऊँची उपलब्धि और क्या हो सकती है ?
Spirituality is the paramount necessity of life; Because this is what introduces us to our true nature. That form which is devoid of death, mourning, eternal and indestructible original being; Having knowledge of this, then a person becomes free from all kinds of fear, grief, worry and death. In this mortal human life, what can be a greater achievement than the achievement of that self-realization?
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नास्तिकता की समस्या का समाधान शिक्षा व ज्ञान देने वाले को गुरु कहते हैं। सृष्टि के आरम्भ से अब तक विभिन्न विषयों के असंख्य गुरु हो चुके हैं जिनका संकेत एवं विवरण रामायण व महाभारत सहित अनेक ग्रन्थों में मिलता है। महाभारत काल के बाद हम देखते हैं कि धर्म में अनेक विकृतियां आई हैं। ईश्वर की आज्ञा के पालनार्थ किये जाने वाले यज्ञों...
मर्यादा चाहे जन-जीवन की हो, चाहे प्रकृति की हो, प्रायः एक रेखा के अधीन होती है। जन जीवन में पूर्वजों द्वारा खींची हुई सीमा रेखा को जाने-अनजाने आज की पीढी लांघती जा रही है। अपनी संस्कृति, परम्परा और पूर्वजों की धरोहर को ताक पर रखकर प्रगति नहीं हुआ करती। जिसे अधिकारपूर्वक अपना कहकर गौरव का अनुभव...